आपकी कुंडली और कुछ सावधानियां
पूजा-पाठ में तो हम पंडित से सलाह-मश्वरा ले लेते हैं, लेकिन कई अन्य
काम ऐसे होते हैं, जिनमें आप किसी से सलाह नहीं लेते और वो काम करने के बाद
तमाम परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। वैसे यह संभव भी नहीं कि बार-बार हर
काम पंडित से पूछ कर ही किया जाये, लेकिन जरा सोचिये यदि आपको खुद अपनी
कुंडली का ज्ञान हो, तो क्या हो? आप खुद सावधानियां बरतते हुए ऐसे काम
नहीं करेंगे, जो आपके लिये नुकसानदायक हो सकते हैं।
जिन लोगों की कुंडली में जो ग्रह उच्च का हो या स्वराशि का हो, उस ग्रह की
वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत ग्रह नीच या अशुभ स्थान में
हो तो इन ग्रहों की वस्तुओं का दान भी नहीं लेना चाहिए। यह बात शायद आपको
नहीं मालूम होगी, लेकिन है बड़े पते की बात।
ऐसी तमाम बातों पर आपका ध्यान आकर्षित करा रहे हैं लखनऊ के ज्योतिषाचार्य
पंडित अनुज के शुक्ला-
1- बुध यदि जन्मकुंडली में छठे भाव में स्थित है तो जातक को अपनी बेटी
या बहन का विवाह उत्तर दिशा में नहीं करना चाहिए अन्यथा पिता व पुत्री
दोनों परेशान रहते है।
2- जिस जातक की कुंडली में बुध चतुर्थ भाव में हो, उसे घर में तोता नहीं
पालना चाहिए वरना माता को कष्ट होगा।
3- मंगल पत्रिका में 12वें भाव में स्थित हो तो जातक को अपने भाईयों से
झगड़ा नहीं करना चाहिए।
4- मंगल आठवें भाव में हो तो जातक को घर में तन्दूर नहीं लगवाना चाहिए
अन्यथा पत्नी रोगिणी बनी रहेगी।
5- केतु यदि तीसरे भाव में स्थित हो तो जातक को दक्षिण दिशा वाले मकान में
नहीं रहना चाहिए अन्यथा आर्थिक व मानसिक स्थिति डांवाडोल रहती है।
6- चन्द्रमा और केतु जन्मपत्री में किसी भाव में एक साथ स्थित हो तो
व्यक्ति को किसी के पेशाब पर पेशाब नहीं करना चाहिए।
7- चन्द्रमा 11वें भाव हो तो जातक अपनी बहन या कन्या का कन्यादान प्रभात
काल में नहीं करना चाहिए वरना पिता व बेटी दोनों दुःखी रहेंगे।
8- चन्द्रमा यदि 12 वें भाव में स्थित हो तो जातक किसी पुजारी, साधु
को प्रतिदिन रोटी न खिलायें, बच्चों के लिए बिना फीस विद्या का प्रबन्ध न
करें और विद्यालय न खोलें वरना दुःखों का पहाड़ टूट पड़ेगा और पानी तक नसीब
नहीं होगा।
9- चन्द्रमा छठें भाव में हो तो दूध, पानी का दान करें एंव नल व कुआं की
मरम्मत करायें वरना परिवार में अकाल मृत्यु का भय बना रहेगा।
10- शनि कुंडली में आठवें भाव में स्थित हो तो जातक को धर्मशाला आदि नहीं
बनवाना चाहिए अन्यथा वह आर्थिक रूप से हमेशा तंग रहेगा।
11- यदि कुंडली का दूसरा भाव खाली हो और शनि आठवें भाव में हो या 6, 8, 12
भाव में शत्रु ग्रह स्थित हो तो जातक को मन्दिर, गुरूद्वारा, मस्जिद के
अन्दर ना जाकर बाहर से ही प्रणाम करना चाहिए।
12- शुक्र 9वें भाव में स्थित हो तो जातक अनाथ बच्चों को गोद न लें एंव
सफेद दही का सेंवन नहीं करना चाहिए।
13- बृहस्पति पांचवें भाव में तथा शनि प्रथम भाव में हो तो जातक कभी भी
भिखारी को भिक्षा के पात्र तांबे का सिक्का न दें अन्यथा हानि होती है।
14- बृहस्पति यदि सातवें भाव में हो तो जातक किसी को वस्त्र दान करें, घर
में मन्दिर न बनायें और घंटी व शंख बजाकर पूजा न करें। ऐसा करने से धन नष्ट
होता है।
15- बृहस्पति दशवें भाव में तथा चन्द्रमा व मंगल चैथे में स्थित हो तो जातक
अपने हाथ से पूजा स्थान न बनवायें एंव भिखारी को भिक्षा न दें वरना झूठे
आरोप में फॅसकर लम्बी सजा काटनी पड़ सकती है।
16- सूर्य यदि सातवें व आठवें भाव में हो तो जातक को प्रातःकाल सूर्य नमस्कार व दान करना चाहिए।
Read more at: http://hindi.oneindia.in/astrology/2012/tips-for-you-according-to-your-kundli-223632.html
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