Sunday 17 February 2013

प्रश्न कुण्डली से रोग एवं उनके उपचार (Diseases and their remedies from Prashna Kundali)

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ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से देखा जाए तो जीवन की हर छोटी बड़ी घटना ग्रहों से प्रभावित होती है.स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों एवं रोग का कारण भी ग्रह हैं.ज्योतिष की विधा प्रश्न कुण्डली रोग के विषय में क्या कहती है
मानव शरीर पंचभूतों से बना हुआ है.इन पंच भूतों पर आकाशीय ग्रहों का प्रभाव बना रहता है.ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से देखा जाए तो जीवन की हर छोटी बड़ी घटना ग्रहों से प्रभावित होती है.स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों एवं रोग का कारण भी ग्रह हैं.ज्योतिष की विधा प्रश्न कुण्डली रोग  (Prashna kundali on health matters). के विषय में क्या कहती है 
रोग के कारक ग्रह (Planets related to diseases)
बुखार, हृदय सम्बन्धी रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द, अस्थियों में तकलीफ, पित्त दोष ये ऐसे रोग हैं जिनके कारक ग्रह सूर्य हैं.सर्दी - खांसी, फेफड़ों में परेशानी, नजला, जुकाम, क्षय रोग, श्वास सम्बन्धी रोग एवं मानसिक रोगों के लिए चन्द्र कारक होता है.एलर्जी, पागलपन, हिस्टीरिया, चर्म रोग, मिर्गी एवं सन्निपात के लिए बुध उत्तरदायी होता है.पीलिया, पेट की खराबी, गुर्दे में परेशानी, वायु विकार, मोटपा जैसे रोगों के लिए गुरू उत्तरदायी होते है.शुक्र के प्रभाव से गुप्त रोग, कमज़ोरी, प्रदर, मधुमेह का सामना करना होता है.जोड़ों में दर्द, नाड़ी सम्बन्धी दोष, गठिया, सूखा, पेट दर्द की तकलीफ का कारण शनि होता है.
सूर्य और मंगल के कारण बवासीर, सिर दर्द, चोट, ब्लड प्रैशर, रक्त विकार की समस्याओं का सामना करना होता है.सूर्य और बुध के प्रभाव से एलर्जी, मियादी बुखार, पीलिया, सन्निपात, क्षय रोग होता है.सूर्य और राहु के योग से कैन्सर, एनीमिया, गर्भाशय के रोग, प्रदर एवं कुष्ठ रोग का सामना करना होता है.सूर्य और शुक्र के योग से वीर्य दोष, पागलपन, गुप्त रोग का सामना करना होता है.

रोग निदान (Remedies through Prashna Kundali)
प्रश्न कुण्डली में प्रथम, पंचम, सप्तम एवं अष्टम भाव में पाप ग्रह हों और चन्द्रमा कमज़ोर या पाप पीड़ित हों तो रोग का उपचार कठिन होता है जबकि चन्द्रमा बलवान हो और 1, 5, 7 एवं 8 भाव में शुभ ग्रह हों तो उपचार से रोग का ईलाज संभव हो पाता है.पत्रिका में तृतीय, षष्टम, नवम एवं एकादश भाव में शुभ ग्रह हों तो उपचार के उपरान्त रोग से मुक्ति मिलती है.सप्तम भाव में शुभ ग्रह हों और सप्तमांश बलवान हों तो रोग का निदान संभव होता है.चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह की स्थिति से ज्ञात होता है कि रोगी को दवाईयों से अपेक्षित लाभ प्राप्त होगा.
प्रश्न कुण्डली में रोग से सम्बन्धित भाव (Houses related to diseases in Prashna Kundali)
प्रश्न ज्योतिष के अनुसार प्रश्न कुण्डली में लग्न स्थान चिकित्सक का (First house belongs to the physician), चौथा स्थान उपचार और दवाईयों का होता है.कुण्डली में छठा एवं सातवां भाव रोग का घर होता है व दशम भाव रोगी का होता है.प्रश्न कुण्डली के लग्न स्थान में शुभ ग्रह विराजमान हों अथवा इस स्थान को शुभ ग्रह देख रहे हों तो यह समझना चाहिए कि आप कुशल चिकित्सक की सलाह ले रहे हैं.चतुर्थ भाव शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि या युति है तो इस बात का संकेत समझना चाहिए कि रोग सामान्य उपचार से ठीक हो जाएगा.प्रश्न पूछे जाने के समय षष्टम एवं सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो एवं षष्ठेश और सप्तमेश निर्बल हों (If the sixth-lord and the seventh-lord is debilitated, then the ailment takes time to cure) या इनको शुभ ग्रह देख रहे हों तो मर्ज धीरे धीरे जाने का संकेत मिलता है।

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