Sunday 17 February 2013

प्रश्न कुण्डली में पंचम भाव(Fifth house in Prashana kundli)

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जिस तरह संगीत में पंचम सुर को सबसे मीठा कहा गया है उसी प्रकार ज्योतिषशास्त्री कुण्डली में पंचम भाव को बहुत ही महत्वपूर्ण बताते हैं। वास्तव मे पंचम भाव(Fifth House) हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पंचम भाव ज्ञान का भाव है, ज्ञान जिससे जीवन की दिशा निर्देशित होती है उसका स्वामी होने से इस भाव की महत्ता काफी बढ़ जाती है। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं, पंचम भाव को त्रिकोण स्थान भी कहा गया हैं(According to the Astrologer Fifth House is also called Tring House)। यह भाव बहुत ही शुभ माना गया हैपंचम भाव को बुद्धि स्थान कहा गया हैपंचम भाव से ही शिक्षा के सम्बन्ध में भी विचार किया जाता है तथा संतान के कारक भाव के रूप में भी पंचम भाव को स्थान दिया गया है(Place of Fifth House as a Significator of Birth)।
अगर आपके जीवन में अचाचनक लाभ या अचानक हानि हो रही है तो इस स्थिति का भी आंकलन पंचम भाव से किया जाता है अर्थात पंचम भाव आकस्मिक लाभ.हानि के सम्बन्ध में भी प्रभाव रखता है.इन सबके अलावा पंचम भाव इसलिए भी विशेष स्थान रखता है क्योंकि इसी भाव से प्रेम की स्थिति का आंकलन किया जाता है, ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार प्रेम सम्बन्ध के लिए पंचम भाव योगकारक होता है।(According to the Astrologer Fifth house is also useful for the Relationship of love)
आइये अब हम पंचम भाव से सम्बद्ध कुछ विषयों की विस्तार से व्याख्या कर लेते हैं.मान लीजिए आपने संतान के सम्बन्ध में प्रश्न किया, आपके प्रश्न को जानकर ज्योतिषशास्त्री प्रश्न कुण्डली बनाकर सबसे पहले लग्न स्पष्ट करते हैं(Astrologer first generate Ascendent in Prashana Kundli).लग्न स्पष्ट होने के पश्चात लग्न/लग्नेश के साथ ही पंचम भाव(Ascendent and Lord of Ascendent with Fifth House)/पंचमेश तथा संतान के कारक बृहस्पति की स्थिति का आंकलन किया जाता है.उपरोक्त भाव एवं ग्रह शुभ होकर बलवान स्थिति में हों तो आपको संतान सुख प्राप्त होता है.यदि ये भाव/ग्रह पाप पीड़ित या कमजोर स्थिति(Aflected and Debilitated planets) में हों तो सन्तान सुख में बाधा आती है

शिक्षा के सम्बन्ध में पंचम भाव से विचार करें तो लग्न/लग्नेश के साथ ही पंचम भाव/पंचमेश तथा शिक्षा के कारक ग्रह बुध एवं बृहस्पति(Mercury and Jupiter is the Significator of Education and Lord of Fifth House) की स्थिति से परिणाम ज्ञात होता है.उपरोक्त भाव एवं ग्रह शुभ स्थिति में होकर बलवान हों तो शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिलती है, और सम्बन्धित भाव एवं ग्रह कमजोर स्थिति में हों या पाप पीड़ित हों तो शिक्षा के सम्बन्ध में रूकावटों का सामना करना पड़ता है.इन तथ्यों के अलावा यहां यह भी गौर करने योग्य विषय है कि अन्य ग्रहों का दृष्टि या युति(Aspect and Combination of Other Planets) द्वारा कोई सम्बन्ध तो नहीं बन रहा, अगर सम्बन्ध बन रहा है तो वह ग्रह लग्न का शत्रु (Enemy Of Ascendent) है या मित्र क्योंकि अन्य ग्रह काफी हद तक परिणाम को प्रभावित करते हैं. इन दिनों शेयर बाज़र के प्रति लोगों में आकर्षण बढ़ता जा रहा है, अगर आप भी शेयर के मामलों में रूचि रखते हैं और जानना चाहते हैं कि बाज़ार में आपके शेयर की क्या स्थिति रहेगी, तो इस प्रश्न के जवाब में प्रश्नकुण्डली के सिद्धान्त के अनुसार लग्न/लग्नेश, पंचम भाव/पंचमेश तथा बृहस्पति का आंकलन किया जाता है.उपरोक्त भाव एवं ग्रह बलवान स्थिति में हों तो आपको शेयर से लाभ मिलता है, यदि सम्बन्धित भाव एवं ग्रहों की कमजोर स्थिति (Debilitated Status of house and Planets)हो तो शेयर में नुकसान की संभावना रहती है.
ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तो प्रश्न के अनुसार भाव कारक बदल जाते हैं(Changes in Significator house according to the Prashana), इसलिए इसे सावधानी से देखा जाता है.किसी भी प्रश्न का उत्तर भाव/भावेश के साथ ही कारक ग्रह के आंकलन के बिना अधूरा रहता है.कई बार ऐसा भी होता है कि ज्योतिषशास्त्री वस्तु की अपेक्षा भाव कारक ग्रह की गणना कर लेते हैं इससे परिणाम में अंतर जाता है, अत: फलादेश करते समय हर छोटी छोटी बातों का ख्याल रखना आवश्यक होता है

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