Sunday 17 February 2013

प्रश्न कुण्डली से जानिए अपनी आयु (Prashna kundli on span of life)

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संसार में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो यह नहीं जानना चाहता हो कि उसकी आयु कितनी होगी, शायद आपके मन में भी यह उत्सुकता होगी.आपने भी कभी न कभी किसी को हाथ दिखाकर जानना चाहा होगा कि जीवन रेखा कितनी लम्बी है.
अगर आप अपनी इस उत्सुकता को शांत करना चाहते हैं तो प्रश्न कुण्डली के माध्यम से इसे आसानी से जान सकते हैं. ज्योतिष शास्त्री कहते हैं कि ज्योतिष सिद्धान्त के अनुसार इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जाना चाहिए परंतु मनुष्य जिज्ञासु प्राणी है अत: अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए मनुष्य प्रश्न कुण्डली की सहायता ले सकता है. प्रश्न कुण्डली में आयु और मृत्यु के सम्बन्ध में अष्टम भाव (Eighth house determines the span of life) से विचार जाता है. शनि ग्रह को आयु का कारक (Saturn is the significator of span of life) माना जाता है. कुण्डली मे अष्टम भाव/अष्टमेश (8th house and Lord of 8th house) तथा शनि के साथ ही यदि लग्न/लग्नेश (Ascendant and Lord of ascendant) भी शुभ होकर बलवान स्थिति में तो व्यक्ति की आयु काफी लम्बी होती है अर्थात व्यक्ति चिरायु होता है. लम्बी आयु के संदर्भ मे माना जाता है कि अष्टम भाव में शुभ ग्रह (बुध, बृहस्पति या शुक्र) हो (Mercury, Jupiter and Venus) तो व्यक्ति लम्बे समय तक धरती का सुख प्राप्त करता है.

उपरोक्त भाव एवं ग्रह शुभ-अशुभ मिश्रित होने से व्यक्ति की आयु सामान्य होती है अर्थात मध्यम आयु का स्वामी होता है.यहां गौर तलब बात यह है कि जब बच्चे की आयु के सम्बन्ध में कुण्डली से विचार किया जाता है तो चन्द्र की स्थिति का भी आंकलन किया जाता है (Placement of Moon is also important to know the life sapn of child). ज्योतिर्विद कहते हैं कि अष्टम भाव आयु स्थान होता है जो त्रिक भाव (Trik Bhava) कहलाता है.इस भाव में जो भी ग्रह होते हैं उस ग्रह की हानि होती है.इस विषय मे यह भी सिद्धान्त मान्य है कि इस भाव में शुभ ग्रह के होने से आयु की वृद्धि होती है. मंगल, राहु और केतु जैसे पाप ग्रहों (Mars, Rahu and Ketu are malefic planets) के इस भाव मे होने से आयु पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.इस स्थिति में व्यक्ति के दु्र्घटना एवं षडयन्त्र में फंसने की संभावना रहती है.
अष्टम भाव के पाप पीड़ित होने तथा अष्टमेश (Lord of eighth house) के कमजोर स्थिति में होने से आयु का क्षय होता है.यदि लग्न/लग्नेश भी कमजोर स्थिति में
 हों तो स्थिति में प्रतिकूलता आती है.इस विषय से सम्बन्धित परिणाम को जानने के लिए ग्रहों की दृष्टि का भी अवलोकन किया जाता है. आयु के संदर्भ में अष्टम भाव या अष्टमेश (8th house and Lord of eighth house) पर शुभ ग्रह की दृष्टि आयु सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करती है जबकि पाप ग्रह की दृष्टि आयु को कम करती है और मृत्यु की ओर ले जाती है. ग्रहों में शनि ग्रह का बलवान होना आयु की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि शनि ग्रह अपने स्वभाव के अनुरूप जीवन के प्रारम्भिक अवस्था अर्थात बाल्यकाल में स्वास्थ्य सम्बन्धी एवं अन्य प्रकार की परेशानियां देता है परंतु जैसे जैसे आयु बढ़ती जाती है व्यक्ति के सुख में वृद्धि होती जाती है. प्रश्न कुण्डली में अगर शनि कमजोर अथवा अशुभ स्थिति में (Saturn in the debilitated in prashna kundli) हो तो परिणाम इसके विपरीत होता है अर्थात व्यक्ति प्रारम्भिक काल में सुख प्राप्त करता है परंतु आयु बढ़ने के साथ ही साथ व्यक्ति की तकलीफें भी बढ़ती जाती हैं. 

इस तरह हम ग्रहों की स्थिति को देखकर व्यक्ति की आयु एवं मृत्यु का आंकलन कर सकते हैं (Placement of planets determines the span of life).
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