Sunday 17 February 2013

लाल किताब में शुक्र ग्रह (Shukra Graha in Lal Kitab)

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लाल किताब के अनुसार शुक्र ग्रह की कुण्डली में शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है तो अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष एवं पीड़ा दायक होती है.
शुक्र को सबसे चमकीला और सुन्दर ग्रह कहा गया है.यह संध्या काल में एवं प्रात: काल में चमकने वाला ग्रह है.लाल किताब में इसे प्रेम और वासना का अधिपति माना गया है.कुण्डली में इसकी शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है तो अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष एवं पीड़ा दायक होती है.
लाल किताब के अनुसार 7 वां घ्रर जिसे वैदिक ज्योतिष में प्रेम और जीवनसाथी का घर कहा गया है उसका स्वामी शुक्र होता है.शुक्रवार का अधिपति शुक्र होता है.यह बुध, शनि और केतु का मित्र और सूर्य, चन्द्र एवं राहु से शत्रुता रखता है.मंगल और बृहस्पति के साथ इसका वैर होता है.टेवे में 2, 3, 4, 7 एवं 12 वें खाने में शुक्र श्रेष्ठ होता है जबकि 1, 6, 9 वें खाने  में मंदा होता है.मीन राशि में यह उच्च होता है और कन्या में नीच.मिथुन राशि में यह योग कारक होता है.सप्तम भाव में यह जिस ग्रह के साथ सम्बन्ध बनाता है उसे अपना प्रभाव दे देता है.
शुक्र को परिवार और गृहस्थी का कारक माना गया है.पुरूष की कुण्डली में यह पत्नी और स्त्री की कुण्डली में पति की स्थिति को दर्शाता है.लाल किताब कहता है कि यह कुण्डली में अकेला होने पर अहित नहीं करता है और इससे प्रभावित व्यक्ति किसी को परेशान नहीं करता है.टेवे में सातवें खाने में शुक्र, शनि एवं सूर्य की युति होने पर सूर्य मंदा होता है एवं शुक्र भी अशुभ हो जाता है.इस स्थिति में धन की हानि होती है एवं पिता से अच्छे सम्बन्ध नहीं रह पाते हैं.शुक्र जब बारहवें घर में होता है तब धन और उच्चपद प्रदान करता है.

शरीर में जननांग, वीर्य, नेत्र पर शुक्र का प्रभाव रहता है.शुक्र प्रेम, विवाह, वासना, मैथुन, सुख, ऐश्वर्य, गायन एवं नृत्य का अधिपति होता है.शुक्र विवाह एवं वैवाहिक सुख सहित सम्बन्ध विच्छेद का भी कारक होता है.शुक्र प्रभावित व्यक्ति आशिक मिज़ाज का होता है.सुन्दरता एवं कला का प्रेमी होता है.जिस पुरूष की कुण्डली में शुक्र शुभ और उच्च का होता है वह श्रृंगार प्रिय होता है.इन्हें स्त्रियों का साथ पसंद होता है व इनसे लाभ भी मिलता है.
शुक्र अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष होता है.मंदा शुक्र पारिवारिक एवं गृहस्थ जीवन में अशांति और कलह पैदा करता है.त्वचा सम्बन्धी रोग, स्वप्न दोष.अंगूठे में अकारण पीड़ा मंदे शुक्र की निशानी कही गयी है.
लाल किताब में शुक्र का उपाय (Lalkitab Remedies for Shukra)
लाल किताब में प्रत्येक भाव में शुक्र की शुभता एवं उपचार सम्बन्धी उपाय बताए गये हैं.शुक्र की शुभता के लिए कुछ सामान्य उपायों में पत्नी का सम्मान करना चाहिए.शुक्रवार का व्रत करना चाहिए.मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए और भटकाव की ओर जाने से रोकना चाहिए.सात प्रकार के अनाज और चरी का दान करना चाहिए.चतुर्थ भाव में शुक्र मंदा होने पर पत्नी से दो बार शादी करनी चाहिए.धन एवं संतान के लिए स्त्री को बालों में सोने की क्लिप या सूई लगाकर रखना चाहिए.खाना नम्बर 6 में शुक्र मंदा होने पर संतान हेतु अंगों को दूध से धोना चाहिए.लाल किताब शुक्र के सम्बन्ध में मन और इन्द्रियों को नियंत्रित रखने पर विशेष बल देता है.

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