Sunday 17 February 2013

प्रश्न कुण्डली में तृतीय भाव (Third House in prashna kundali)

image
जैसे किसी स्कूल अथवा कालेज को सुचारू पूर्वक चलाने के लिए अलग अलग संकाय या विभाग का निर्माण किया जाता है और उनका कार्य बँटा होता है।कुण्डली में भी 12 घर यानी 12 भाव (12th houses) होते हैं।
कुण्डली के सभी भाव का अपना महत्व (specific relevance of house) होता है, हर भाव के पास अपना विभाग होता है जैसे द्वितीय भाव के पास धन, कुटुम्ब परिवार एवं वाणी का विभाग होता है उसी प्रकार तृतीय भाव के पास कुछ विभाग हैं।
तृतीय भाव इन्हीं विभागों यानी विषयों के सम्बन्ध में प्रभाव उत्पन्न करता है। प्रश्न कुण्डली में तृतीय भाव किस कदर महत्व रखता यहां हम इसकी विवेचना करते हैं।
ज्योतिर्विदों के अनुसार प्रश्न कुण्डली में तृतीय भाव छोटे भाई/बहन, छोटी दूरी की यात्राएं, पराक्रम एवं परिवर्तन के विषय (Third house says about brother and sister, journey and strength) में संकेत देता है। कुण्डली में तृतीय भाव का कारक मंगल (Mars is the significator of third house) ग्रह होता है। इस भाव पर वैदिक ज्योतिष के सामान्य नियम लागू होते हैं।
प्रश्न कुण्डली में प्रश्न के आधार पर जब तृतीय भाव कार्य भाव के रूप में कार्य करता है तब भाव सम्बन्धी प्रश्न का फल स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है। इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं मान लीजिए आपने जानना चाहा कि आपके अपने अपने छोटे भाई/बहनों के साथ कैसे सम्बन्ध रहेंगे।
इस प्रश्न का जवाब देने के लिए ज्योतिष महोदय प्रश्न के समय के आधार पर प्रश्न कुण्डली का निर्माण करेंगे। चूंकि प्रश्न का सम्बन्ध छोटे भाई/बहन से है इसलिए तृतीय भाव कार्य भाव (Karya Bhava) के रूप में कार्य करेगा। यहां गौर तलब बात है कि मंगल चूंकि छोटे भाई/बहनों का कारक है इसलिए इसका भी महत्वपूर्ण प्रभाव रहेगा।

लग्न/लग्नेश (Ascendnt and ascendant Lord), तृतीय भाव/तृतीयेश (Third house and Lord of third house) तथा मंगल यदि शुभ होकर बलवान स्थिति में हो तो आपके अपने भाई/बहनों से उत्तम सम्बन्ध रहते हैं। इस संदर्भ में कहा जाता है कि कुण्डली में भाव एवं ग्रह जितने शुभ स्थिति में होंगे आपके सम्बन्ध उतने ही अच्छे रहते हैं। उपरोक्त भाव एवं ग्रह अशुभ स्थिति में या कमजोर हों तो सम्बन्धों में तनाव की स्थिति रहती है।
जिस प्रकार से हमने इस प्रश्न का उत्तर ज्ञात किया, इसी प्रकार इस भाव से सम्बन्धित अन्य प्रश्नों का उत्तर भी सामान्य सिद्धान्त के अनुसार प्राप्त कर सकते हैं अर्थात प्रश्न छोटी दूरी की यात्राओं से सम्बन्धित हो या परिवर्तन से, सभी में एक ही नियम लागू होता है।
ज्योतिषाचार्य की मानें तो प्रश्न के उत्तर या फल के घटित होने के बारे में जानने के लिए चन्द्रमा (Moon) से विचार किया जाता है, यहां भी आप तथ्य को समझने के लिए उदाहरण पर दृष्टिपात कर सकते हैं मान लीजिए आपने प्रश्न किया कि सामान्य तौर पर छोटी दूरी की यात्रा करना लाभप्रद रहेगा।
प्रश्न का जवाब ढूंढने के लिए प्रश्न कुण्डली के सिद्धान्त का अनुसरण करते हुए सबसे पहले लग्न/लग्नेश, तृतीय भाव/तृतीयेश एवं कारक मंगल ग्रह (Mars) की स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा। उपरोक्त भाव एवं ग्रह शुभ होकर बलवान स्थिति में हैं तो आपके लिए छोटी दूरी की यात्राएं लाभकारी रहती हैं।
चन्द्रमा की तृतीय भाव (Moon in third house) या तृतीयेश पर दृष्टि हो तो यात्रा में सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। इस संदर्भ में माना गया है कि किसी कार्य को सफल बनाने के लिए चन्द्रमा की दृष्टि महत्वपूर्ण होती है क्योंकि चन्द्रमा की दृष्टि से सफलता की निश्चितता का पता चलता है।
प्रश्न कुण्डली के कृष्णमूर्ति पद्धति से इन्हीं प्रश्नों का जब हम जवाब ढूंढते हैं तब वैदिक सिद्धान्त से अलग इसमें ग्रहों की अपेक्षा नक्षत्रों (Nakshatras) का विश्लेषण किया जाता है। इसमें नक्षत्र भागेश को फलादेश (Phaladesh) की दृष्टि से सर्वाधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि इसमें प्रश्न का परिणाम क्या होगा यह नक्षत्र भागेश तय करता है। नक्षत्र भागेश नक्षत्र (Bhogesh Nakshatras) का ही भाग होता है।
प्रश्न कुण्डली की दोनों पद्धतियां प्रचलन में हैं ज्योतिषशास्त्री अपनी इच्छा, व्यक्तिगत ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर जिस पद्धति से चाहें तृतीय भाव का आंकलन कर सकते हैं।

नोट: आप कम्यूटर द्वारा स्वयं प्रश्न कुण्डली का निर्माण कर  सकते हैं। इसके लिऎ आप  प्रश्न कुण्डली एक्सप्लोरर का इस्तेमाल करे।  आप इसका 45 दिन तक मुफ्त उपयोग कर सकते हैं । कीमत 650 रु. जानकारी के लिये यहाँ www.HindiLok.com

No comments:

Post a Comment