Sunday 17 February 2013

प्रश्न कुण्डली से आध्यात्मिकता का विचार (Spiritual assessment through prashna kundli)

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यह सृष्टि ईश्वर की सुन्दर कृति हैं. शास्त्रों के मुताबिक सृष्टि में 84 लाख योनिया हैं, मनुष्य योनि इन सभी में श्रेष्ठ माना गयी है. संत जन कहते हैं कि मानव जीवन मिलना सबसे कठिन है,
काफी तपस्या के पश्चात जीवात्मा को मानव काया प्राप्त होती है. मानव काया को मुक्ति का आधार माना गया है, इस योनि में जीवात्मा ज्ञान प्राप्त करता है और ईश्वर भक्ति के द्वारा जीवात्मा परम सत्य में विलीन हो जाता है. इस उद्देशय से ही ईश्वर जीव को मानव शरीर प्रदान करता है परंतु मानव काया मिलते ही हम वास्तविक लक्ष्य से भटककर पुन: तुच्क्ष योनियों में गमन करते हैं. संत जन एवं ज्योतिषाचार्य कहते हैं मानव शरीर की प्राप्ति के पश्चात भी अध्यात्म का वरदान हर व्यक्ति नहीं प्राप्त कर पाता है. आघ्यात्मिक ज्ञान और मुक्ति के लिए आपकी कुण्डली में ग्रहों की स्थिति (Placement of planents in the chart determines the spiritual knowledge) भी काफी मायने रखती है. आप ईश्वर में श्रद्धा रखते हैं और अपनी आध्यात्मिक स्थिति को जानना चाहते हैं तो इसके लिए प्रश्न कुण्डली सबसे सुन्दर और सरल (Simple methods of prashna kundali to know the spiritual nature of a person) उपाय है. ज्योतिर्विद बताते हैं कि जब आप कुण्डली से अध्यात्मिक स्थिति का विचार करते हैं तब आपकी कुण्डली में नवम भाव का अध्ययन किया जाता है.

अध्यात्म के संदर्भ में बुध, बृहस्पति, शनि, राहु केतु कारक (Spiritual significators are Mercury, Jupiter, Saturn, Rahu and ketu) माने जाते हैं. ज्योतिष के मर्मज्ञ बताते हैं कि सभी ग्रह इस सम्बन्ध में अलग अलग प्रभाव और परिणाम प्रदान करते हैं. नवम भाव में विभिन्न ग्रहों की स्थिति के आधार पर आपके अध्यात्मिक स्तर का अध्ययन करें तो पाते हैं कि इस भाव में बृहस्पति (Jupiter in ninth house) की मौजूदगी होने से आप धार्मिक पुस्तकों एवं नीति के ज्ञाता होते है, आप ज्ञान के स्तर पर अध्यात्म की गहराईयों को समझते हैं परंतु, आपका ज्ञान वाह्य होता है आप ज़मीनी स्तर पर अर्थात अध्यात्म को व्यवहार में शामिल नहीं कर पाते हैं. नवम भाव में शनि (Saturn in ninth house) के शुभ होकर स्थित होने से आप अध्यात्म की गहराईयों में उतरते हैं, आपका अध्यात्मिक ज्ञान सिर्फ शब्दों एवं वाक्यों में लिपटा नहीं होता है बल्कि आप अध्यात्म को व्यवहार में लाते हैं, आप सेवा भाव रखने वाले होते हैं और कामना रहित होकर जनसेवा करते हैं. नवम भाव में राहु (Rahu in ninth house) होने से आपकी आध्यात्मिकता पर राजनैतिक रंग चढ़ता है. अध्यात्म के प्रति रूझान रहने के बावजूद आप इस क्षेत्र में श्रेष्ठता की इच्छा रखते हैं, आप चाहते हैं कि आगे बढ़कर नेतृत्व का परचम अपने हाथों में थामें और आपको अपनी अध्यात्मिक प्रवृति और ज्ञान के कारण यश कीर्ति प्राप्त हो तो आप समझ सकते हैं कि आपकी कुण्डली के नवम भाव में राहु उपस्थित है और वह आपको दिशा निर्देश दे रहा है.
जीवात्मा के अंतिम लक्ष्य और अध्यात्म की पराकाष्ठा का होना नवम भाव में केतु की स्थिति से ज्ञात होता है. नवम भाव में केतु(Ketu in ninth house) की स्थिति से ज्ञात होता है कि आप अपने अध्यात्मिक शक्ति के बल पर योनि चक्र से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करेंगे अथवा नहीं.
अध्यात्म और मुक्ति के संदर्भ में इष्टोपासना की भी विवेचना की जाती है. ज्योतिर्विद बताते हैं कि आपकी कुण्डली में स्थित ग्रहों से ज्ञात होता है कि आप किस देवी/देवता को इष्ट मानकर पूजन करेंगे तो आपको जल्दी और बेहतर फल की प्राप्ति होगी. नवम भाव में अगर स्त्री ग्रह चन्द्रमा शुक्र योग कारक हैं तो इस स्थिति में अगर आप देवी की आराधना करते हैं तो आपको इष्ट लाभ मिलता है.

सूर्य ग्रह सूर्य या निराकार शक्ति का प्रतीक होता है आप निराकार ब्रह्म (Nirakara brahma) अथवा सूर्य की उपासना कर सकते हैं. मंगल (Mars) की उपस्थिति हनुमान जी, गणेश जी तथा कार्तिकेय की साधना करने का संकेत देती है. बुध (Mercury and Jupiter) एवं बृहस्पति ग्रह के उपस्थित होने से भगवान विष्णु उनके अवतारों श्रीराम एवं श्रीकृष्ण की भक्ति करना विशेष फलदायक होता है. आपकी कुण्डली के नवम भाव में अगर चन्द्र (Moon in ninth house) मौजूद हों तब आप चाहें तो देवी की आराधना कर सकते हैं अथवा भगवान शंकर की उपासना कर सकते हैं दोंनों ही आपके लिए मंगलकारी रहेंगे. इस भाव में आपकी कुण्डली में शनि देव मौजूद हैं तो आप बिना किसी लालसा के सेवा को ही भक्ति स्वरूप मानेंगे और शनि देव की उपासना करते हैं इसी से आपको संतोष धन की प्राप्ति होती है. आपकी कुण्डली के नवम भाव में अगर राहु (Rahu in ninth house) स्थित हैं तो आप तंत्र साधना की ओर उन्मुख हो सकते हैं, आप काली, भैरव या दशमहाविद्या की साधना करके अपने इष्ट को आसानी से प्राप्त करते हैं. भक्ति और अध्यात्म के शिखर पर पहुंचने में आपकी कुण्डली के नवम भाव में स्थित केतु सहयोग प्रदान करता है. इस भाव में केतु के होने से आप जिस किसी भी देवी/देवता की अराधना करते हैं वे आपको मुक्ति का वरदान देते हैं.
निष्कर्षत: हम कह सकते हैं कि आप अपनी कुण्डली के नवम भाव में स्थित ग्रहों से आप अपनी आध्यात्मिक स्थिति का ज्ञान(Ninth house signifies the spiritual knowledge) प्राप्त कर सकते हैं और इष्ट का चुनाव कर अभिष्ट फल (Desire result) प्राप्त कर सकते हैं.
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