क्रिया की प्रतिक्रिया
होती है
हिन्दू धर्म कहता है कि यदि आप दूसरों को सुख देने का यत्न करेंगें तो
प्रतिक्रिया स्वरूप आपको भी सुख प्राप्त होगा । यदि आप दूसरों को दु:ख
देंगे तो आपको भी दु:ख मिलकर रहेगा । किये गये पापों से मुक्त होने का एक
ही उपाय है,
अधिक से अधिक पुण्य का अर्जन कीजिए । दुष्कर्मों के परिणाम भोगने से बचने
का एक ही उपाय है कि अधिक से अधिक सुकर्म कीजिए । हम जो भी शुभाशुभ कर्म
करते है उसका अनजान में मन पर प्रभाव पड़ता है और वह हमारा संस्कार बन जाता
है । कुसंस्कार हमें अकल्याणकर और पाप-कर्म की ओर प्रेरित करता है और
सुसंस्कार हमें कल्याणकर और पुण्य कर्मों की ओर ले जाता है । दुष्कर्म का
जितना अधिक संचय होगा,
एक दिन उसकी प्रतिक्रिया उतनी ही भयंकर होगी । एक गुण्डे,
आतंकवादी या तस्कर का दूसरे गुण्डे या आतंकवादी द्वारा मारा जाना क्रिया की
प्रतिक्रिया को ही दर्शाता है
।
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